राजनीति के जाल में फंसा चौखुटिया अस्पताल — डॉक्टरों की नियुक्ति के आदेश दबाने का गंभीर आरोप, RTI एक्टिविस्ट का बड़ा खुलासा

देहरादून/चौखुटिया। राजनीति किस हद तक गिर सकती है, इसका ताजा उदाहरण चौखुटिया अस्पताल में देखने को मिल रहा है। जिस अस्पताल में डॉक्टरों की तैनाती को लेकर राजनीतिक दलों ने हंगामा मचाया था, उसी अस्पताल के लिए डॉक्टरों की नियुक्ति के आदेश शासन द्वारा 16 अक्टूबर 2025 को ही जारी किए जा चुके थे।
लेकिन बड़ा सवाल यह है कि — आखिर यह आदेश जिला मुख्यालय तक क्यों नहीं पहुंचे?
क्या यह कोई “सिस्टमेटिक देरी” थी या “राजनीतिक दखलअंदाजी”?

भ्रष्टाचार की परतें खोलते RTI एक्टिविस्ट — ट्रांसफर-पोस्टिंग में रिश्वतखोरी का खुलासा

RTI एक्टिविस्ट एवं सामाजिक कार्यकर्ता श्री चंद्र शेखर जोशी और श्री संजय पांडे ने पहले ही यह सनसनीखेज खुलासा किया था कि स्वास्थ्य विभाग में ट्रांसफर-पोस्टिंग के नाम पर रिश्वत का गंदा खेल लंबे समय से जारी है — और यह सिलसिला अब भी थमा नहीं है।

प्रदेशभर में यही दो लोग हैं जो स्वास्थ्य विभाग के भीतर व्याप्त भ्रष्टाचार के खिलाफ लगातार संघर्ष कर रहे हैं।
इनके प्रयासों से कई मामलों में कार्रवाई हुई है और उम्मीद जताई जा रही है कि आने वाले समय में इसके और भी दूरगामी व सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे।

पोस्टिंग की दरें तय — डॉक्टरों से ₹10 लाख तक की वसूली का आरोप

सूत्रों और अभिलेखीय प्रमाणों के अनुसार —

चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों से ₹60,000 से ₹1 लाख तक,

फार्मासिस्ट और नर्सिंग स्टाफ से ₹2 से ₹3 लाख तक,

और डॉक्टरों से ₹5 से ₹7 लाख तक की रकम ली जा रही है।

यहां तक कि “जान-पहचान” वालों की पोस्टिंग ₹5 लाख तक में तय की जा रही है,
जबकि मनपसंद स्थान या पद पर बने रहने के लिए ₹8 से ₹10 लाख तक की मांग की जा रही है।

विजिलेंस में औपचारिक शिकायत दर्ज — अधिकारियों की कॉल डिटेल भी सौंपी गई

एक्टिविस्टों ने इस पूरे प्रकरण की औपचारिक शिकायत विजिलेंस विभाग में दर्ज कराई है, जिसमें कई अधिकारियों और कर्मचारियों के नामों का खुलासा किया गया है।
साथ ही, संदिग्ध व्यक्तियों की कॉल डिटेल्स (Call Details) भी जांच एजेंसी को सौंप दी गई हैं ताकि पूरा नेटवर्क और लेन-देन की सच्चाई सामने लाई जा सके।

यह मामला प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और राज्यपाल तक भेजा जा चुका है, ताकि शीर्ष स्तर पर निगरानी और कार्रवाई हो सके।

स्वास्थ्य सचिव और डीजी हेल्थ की भूमिका पर भी उठे सवाल

सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि इस पूरे प्रकरण में स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार और डीजी हेल्थ डॉ. सुनीता टम्टा की भूमिका संदेहास्पद प्रतीत होती है।
उनकी भूमिका की उच्चस्तरीय जांच की मांग शासन से की गई है।

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