यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते, रमन्ते तत्र देवताः

हमारी सनातन संस्कृति में नारी का स्थान हमेशा पुरुषो से अग्रणी ही रहा है । हमारी वैदिक परंपरा में नारी पूजनीय है। आज की महिला हर क्षेत्र में अपनी पहचान बना रही है। शिक्षा, विज्ञान, संस्कृति, कला, कानून, राजनीति, और व्यवसाय मे इनकी भागीदारी बढ़ती जा रही है। जो काबिलेतारिफ है, प्रत्येक महिला का सशक्त होना आवश्यक है। सशक्तिकरण का अर्थ केवल आर्थिक स्वतंत्रता नहीं, बल्कि आत्मविश्वास और निर्णय लेने की क्षमता भी है। महिलाएं न केवल अपने परिवारों को संभालती हैं, बल्कि समाज में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

नारी केवल एक शब्द नहीं, बल्कि संपूर्ण सृष्टि का आधार है, वह जीवनदायिनी है, प्रेम की मूर्ति और अनेको रिश्तों को प्रेम से एकसाथ संवारने वाली अष्टशक्ति है। नारी के लिए सभी के मन में सम्मान होना चाहिए। तभी एक बेहतर कल का निर्माण हो सकेगा, प्रकृति की सबसे सुंदर रचना ही नारी है उसे प्रेम, सत्कार एवं आदर योग्य बताया गया है । आज वर्तमान समय में सरकार और संगठनों द्वारा चलाए जा रहे विभिन्न कार्यक्रमों ने महिलाओं को आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया है। आज की महिला न केवल अपने अधिकारों के लिए लड़ती है, बल्कि दूसरों को भी प्रेरित करती है। यह बदलाव समाज के लिए एक सकारात्मक संकेत है।
मीना जोशी
हल्द्वानी

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