
धूमधाम से मनाया गया भाजपा का 45 वा स्थापना दिवस
अल्मोड़ा। भारतीय जनता पार्टी का आज 45 वां स्थापना दिवस मनाया गया बीजेपी कार्यकर्ता आज देशभर में 10 लाख से ज्यादा बूथों पर जाकर भाजपा सरकार की उपलब्धियां जनता को गिनाएंगे। जनता पार्टी के विघटन के बाद भाजपा बनी। जनसंघ का दूसरा रूप भाजपा है और इन 45 सालों में भाजपा 2 से 400 की तरफ बढ़ रही है। भाजपा अपने पूरे यौवन पर है फिर चाहे 45 साल की भाजपा अपने उम्र को देखे या फिर देश में अपने वजूद को। हालांकि जब पार्टी के करियर की शुरुआत हुई थी, तब किसी ने सोचा भी नहीं होगा कि एक दिन भाजपा को देश की जनता का प्रचंड बहुमत मिलेगा, लेकिन नरेंद्र मोदी नाम ने ये सब कर दिखाया। बीजेपी न केवल देश मे स्पष्ट बहुमत वाली सरकार बनी बल्कि देश की सबसे बड़ी पार्टी के रूप में निकल कर सामने आई। इस फैक्टर को पार पाने का गणित कांग्रेस के हाथ में भी दिखाई नहीं दे रहा है।
जनसंघ का दूसरा रूप भारतीय जनता पार्टी : 6 अप्रैल 1980 को भारतीय जनता पार्टी की स्थापना हुई। देश भर में कांग्रेस के माहौल के बीच जनसंघ से निकली भारतीय जनता पार्टी का सफर आसान नहीं था। ” इस दीपक में तेल नहीं, सरकार बनाना कोई खेल नहीं ” जनसंघ के चुनाव चिन्ह के बारे में ये नारा लगा। जो कि उसके नए रूप भाजपा का 1984 तक पीछा करता रहा। जब पार्टी को महज दो सीटें मिली थी ।दीनदयाल उपाध्याय और श्यामा प्रसाद मुखर्जी के विचारों से आगे बढ़ी पार्टी ने आज वो फतह हासिल कर ली है जो कि अपने आप में एक अलग इतिहास बनाती है। आज भाजपा देश के अधिकतर राज्यों में काबिज है, तो दुनिया की सबसे ज्यादा सदस्य वाली पार्टी का तमगा भी उसके नाम है। पार्टी के शुरुआती दौर के सफर को अटल बिहारी वाजपेयी ने आगे बढाया , जिसके बाद लालकृष्ण आडवाणी की बुलंद आवाज ने पार्टी को मजबूती दी। शुरुआत में पार्टी की छवि हिंदुत्ववादी पार्टी के रूप में उभरी, लेकिन बाद में बंगारू लक्ष्मण को पार्टी की कमान सौंप कर दलित वर्ग पर भी बड़ी छाप छोड़ी। इस बीच 6 दिसंबर 1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस की खबर ने देश की जनता को चौंका दिया और कांग्रेस के साथ अब भाजपा भी जनता को विकल्प नजर आने लगी है, ये चला 2 से 400 का सफर : अंधेरा छटेगा, सूरज निकलेगा, कमल खिलेगा की बात कहने वाले भारत रत्न आज दुनिया में भले ही नहीं है, लेकिन उनकी मेहनत से खड़ी हुई पार्टी दुनियाभर में सिरमौर बनी हुई है।

भाजपा ने अपने गठन के साथ लगातार मजबूती ली 1984 में पार्टी को लोकसभा में महज दो सीटें मिली, लेकिन उसके पांच साल बाद 1989 में 85 सीटें हासिल की। 1991 में फिर चुनाव हुए जिसमें 120 सीटें हासिल की, 1996 में पार्टी को और मजबूती मिली और 161 सीटें हासिल की। 1998 में 182 तो 2014 आते आते बीजेपी ने अपने बूते पर स्पष्ट बहुमत की सरकार बना ली। 2019 लोकसभा चुनाव में पीएम मोदी के चेहरे पर 303 सीटों के साथ प्रचंड बहुमत से फिर से सत्ता में लौटी , तो उधर, प्रमुख विपक्षी पार्टी को प्रतिपक्ष का दर्जा तक नहीं मिला। पार्टी अब हिंदी भाषी राज्यों के साथ साथ पूर्वी राज्यों में भी पैठ बना चुकी है। 2024 लोकसभा चुनाव के रण के बीच में बीजेपी 45 वां स्थापना दिवस मना रही है। बीजेपी इस बार मिशन 400 पार लक्ष्य लेकर चल रही है। 10 लाख से ज्यादा बूथों पर विशेष कार्यक्रमघर घर झंडा अभियान : अटल-आडवाणी कमल निशान का नारा भले ही अब बदल गया हो, लेकिन इस सफर में अटल आडवाणी योगदान को दुनिया नहीं भुला पाएगी। वर्तमान परिदृश्य को देखते हुए नरेंद्र मोदी और अमित शाह के विजन को भी याद किया जाएगा। मोदी – शाह की जोड़ी ने बीजेपी को विश्व की सबसे पड़ी पार्टी के रूप में न केवल खड़ा किया बल्कि उस रिकॉर्ड की तरफ इस बार 2024 के लोकसभा चुनाव में बढ़ने की कोशिश कर रही है जो कभी एक वक्त कांग्रेस के पास था। 400 पार के नारे को साकार करने के लिए पार्टी स्थापना दिवस के मौके पर शक्ति केंद्र और बूथ केंद्र पर टिफिन बैठक के माध्यम से कार्यकर्ता संगठन को मजबूती का काम कर रहे हैं।

कार्यकर्ता स्थापना दिवस पर प्रत्येक घर-घर संकल्प पत्र वितरित करेंगे। घरों पर झंडा, मेरा परिवार महोदय परिवार के नाम के स्टीकर लगाएंगे। अटल – आडवाणी की जोड़ी के समय दो से शुरू हुई भारतीय जनता पार्टी आज मोदी – शाह की जोड़ी के साथ 400 पार की तरफ बढ़ रही है। इस पार्टी पर देश की हर नागरिक को भरोसा है और यही भरोसा इस बार भी चुनाव में जीत दिलाने के लिए काम आएगा, उन्होंने कहा कि 6 अप्रैल 1980 को दिल्ली के तालकटोरा में जिस संकल्प के साथ जनसंघ से भारतीय जनता पार्टी की स्थापना हुई वह संकल्प पूरा देश साकार होता हुआ देख रहा है,इसी के तहत आज दन्या मंडल में कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मंडल अध्यक्ष लक्ष्मण सिंह डसीला द्वारा कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि आज भारतीय जनता पार्टी जहां है वह अपने समर्पित कार्यकर्ताओं की बदौलत है इस दौरान वरिष्ठ कार्यकर्ता ज्ञान प्रकाश पंत, मोहन सिंह,चंदन लाल वर्मा, कृष्णानंद पांडे, नीरज पंत, कैलाश भट्ट, बसंत गोस्वामी, अंकित नाथ गोस्वामी सहित सैकड़ो कार्यकर्ता उपस्थित रहे।
