एम्स ऋषिकेश में 2.73 करोड़ का घोटाला: मरीजों की सांसों पर लगाई कीमत, 97 लाख के जीवनरक्षक उपकरण ग़ायब

उत्तराखंड के सबसे बड़े स्वास्थ्य संस्थान एम्स ऋषिकेश में ऐसा खेल हुआ जिसने न सिर्फ़ अस्पताल की साख पर धब्बा लगाया बल्कि मरीजों की जिंदगी से भी खुला खिलवाड़ किया। कार्डियो सीसीयू (कोरोनरी केयर यूनिट) में जीवनरक्षक मशीनें कभी आई ही नहीं, लेकिन फर्जी कागज़ों में सब कुछ दुरुस्त दिखाकर करोड़ों की बंदरबांट कर ली गई।

सीबीआई की जांच में खुलासा हुआ कि करीब 97 लाख रुपये के महंगे उपकरण और सामान पूरी तरह ग़ायब हैं। हालात इतने भयावह कि डिफिब्रिलेटर जैसी जान बचाने वाली मशीन तक सीसीयू में मौजूद नहीं थी।

जांच में सामने आया चौंकाने वाला सच

दिसंबर 2017: सीसीयू निर्माण के लिए टेंडर जारी, दिल्ली की कंपनी प्रो मेडिक डिवाइसेस को ठेका मिला।

नवंबर 2019 से जनवरी 2020 के बीच कंपनी को 8.08 करोड़ रुपये का भुगतान भी कर दिया गया।

मार्च 2025: सीबीआई ने औचक निरीक्षण किया तो दरवाजा बंद मिला, बाहर लिखा था “प्रोजेक्ट निर्माणाधीन”।

अंदर का नज़ारा— टूटी हुई फर्श, अधूरी सीलिंग, बेतरतीब पड़े सामान और कई उपकरण पूरी तरह नदारद।

गायब हुए उपकरण (₹1.76 करोड़ का खेल)

ऑटोमैटिक स्लाइडिंग डोर – ₹2,79,500

सर्जन कंट्रोल पैनल – ₹5,85,000

मेडिकल गैस पाइपलाइन सिस्टम – ₹98,00,000

डिफिब्रिलेटर – ₹13,30,641

16 एयर प्यूरीफायर – ₹44,57,143

अन्य उपकरण और काम – लाखों रुपये के

👉 कुल ग़ायब सामान: ₹1,76,25,505

निर्माण में भी भारी गड़बड़ी

दीवार पैनलिंग: बिल में 362 वर्गमीटर, मौके पर सिर्फ़ 224.71 वर्गमीटर → ₹89,23,850 का घोटाला

सीलिंग: बिल में 271 वर्गमीटर, मौके पर 259 वर्गमीटर → ₹7,80,000 का घोटाला

👉 कुल निर्माण घोटाला: ₹97,03,850

सीबीआई ने दर्ज किया मुकदमा

जांच के बाद सीबीआई ने भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी के मामले में मुकदमा दर्ज किया है:

पूर्व डायरेक्टर डॉ. रविकांत

एडिशनल प्रो. डॉ. राजेश पसरीचा

स्टोर कीपर रूप सिंह

खबर का करारा असर

यह सिर्फ़ पैसों का खेल नहीं, बल्कि मरीजों की जान से खिलवाड़ है। करोड़ों रुपये डकार लिए गए, लेकिन ICU जैसा संवेदनशील यूनिट अब भी अधूरा पड़ा है। सवाल ये है कि जब देश के सबसे बड़े मेडिकल संस्थान में इस तरह की लूट और झूठ संभव है, तो आम अस्पतालों की हालत क्या होगी?

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