अंक नहीं, व्यक्तित्व व जीवन कौशल से तय होगी शिक्षा की गुणवत्ता : प्रो. संगीता शुक्ला

हल्द्वानी। उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय के सीका प्रकोष्ठ द्वारा आयोजित व्याख्यानमाला में देशभर के कुलपतियों ने गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर अपने विचार साझा किए।

मुख्य वक्ता चौधरी चरण सिंह मेरठ विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. संगीता शुक्ला ने कहा कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का पैमाना केवल अंक नहीं, बल्कि शिक्षार्थियों का व्यक्तित्व निर्माण, नैतिक मूल्य और जीवन कौशल होना चाहिए। उन्होंने जोर दिया कि मुक्त व दूरस्थ विश्वविद्यालयों की वेबसाइट हमेशा अपडेट रहनी चाहिए, क्योंकि यही छात्रों के लिए जानकारी का प्रमुख माध्यम है। साथ ही, समय-समय पर नए पाठ्यक्रम, प्रैक्टिकल व हैंड्स-ऑन ट्रेनिंग को शामिल करने की भी जरूरत बताई।

मां शाकुम्भरी विश्वविद्यालय सहारनपुर की कुलपति प्रो. विमला वाई ने कहा कि दूरस्थ शिक्षा का पाठ्यक्रम सरल, चित्रात्मक और आत्मसात करने योग्य होना चाहिए। उन्होंने एलुमुनाई एसोसिएशन को मजबूत बनाने पर भी बल दिया।

विश्वविद्यालय के लोकपाल प्रो. नरेन्द्र भंडारी ने कहा कि विज्ञान विषयों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सबसे बड़ी चुनौती है, इसलिए समय के अनुरूप पाठ्यक्रमों में बदलाव अनिवार्य है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. नवीन चन्द्र लोहनी ने कहा कि उत्तराखंड की भौगोलिक चुनौतियां ही मुक्त विश्वविद्यालय की सबसे बड़ी ताकत हैं। पारंपरिक विश्वविद्यालय जहां उपस्थिति तक सीमित हैं, वहीं मुक्त विश्वविद्यालय गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के साथ पहाड़ के हर कोने तक पहुंच बना सकते हैं।

इस मौके पर सीका निदेशक प्रो. गिरिजा प्रसाद पांडे ने कहा कि नई शिक्षा नीति का उद्देश्य संस्थानों की गुणवत्ता सुधारना है और ऐसे व्याख्यानों से उपयोगी सुझाव लेकर रणनीतियां तैयार की जाएंगी। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय की प्रचार सामग्री का विमोचन भी किया गया।

सत्र का संचालन सीका सदस्य व वाणिज्य एवं प्रबंधन विद्याशाखा के निदेशक प्रो. गगन सिंह ने किया। कार्यक्रम में प्रो. रेनू प्रकाश, प्रो. राकेश चन्द्र रयाल, प्रो. डिगर सिंह फर्स्वाण, त्रिलोक सिंह सहित विश्वविद्यालय का समस्त अकादमिक स्टाफ मौजूद रहा।

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