
“हिंदी को हल्के में लेना पड़ा भारी: 6431 छात्र फेल, न जागे तो हालात और बिगड़ेंगे!”
लापरवाही नहीं, अब चेतावनी है हिंदी का रिजल्ट!
इस साल हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षाओं में 6431 छात्र-छात्राएं केवल हिंदी विषय में फेल हो गए। आंकड़े चौंकाने वाले हैं—जहां एक तरफ छात्र विज्ञान, गणित और आईटी जैसे कठिन माने जाने वाले विषयों में अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं, वहीं अपनी मातृभाषा हिंदी में असफल हो रहे हैं।
हाईस्कूल का हाल:
कुल परीक्षार्थी (हिंदी विषय): 1,11,088
पास हुए: 1,07,506
फेल हुए: 3,582 (2,387 लड़के, 1,195 लड़कियां)
इंटरमीडिएट का हाल:
कुल परीक्षार्थी (हिंदी विषय): 1,03,842
पास हुए: 1,00,943
फेल हुए: 2,899 (1,924 लड़के, 925 लड़कियां)
आखिर क्यों हो रहे हैं फेल?
छात्रों में हिंदी के प्रति रुचि में गिरावट
विषय को ‘आसान’ समझकर तैयारी में लापरवाही
हिंदी में ग्रेस मार्क्स नहीं मिलते
पास होने के लिए कम से कम 33% अंक जरूरी
जब अन्य विषयों में चमक रहे हैं छात्र:
आईटी: 98.59%
मनोविज्ञान: 98.95%
संस्कृत: 97.30%
होम साइंस: 97.82%
गणित (इंटर): 88.03%
भौतिक विज्ञान: 84.91%
विशेषज्ञों की राय:
“भाषा सिर्फ विषय नहीं होती, यह सोचने और समझने का माध्यम होती है। हिंदी में कमजोर होना, सोचने की दिशा को कमजोर करना है। समय रहते चेतना जरूरी है।”
