विकास की दहलीज़ पर रामपुर लामाचौड़, संघर्षों के बीच एक उम्मीदों से भरा गांव

हल्द्वानी। हल्द्वानी से महज़ 10 किलोमीटर दूर स्थित रामपुर लामाचौड़, एक ऐसा गांव है जहां शहरी चमक-धमक पास होने के बावजूद गांव आज भी बुनियादी सुविधाओं की तलाश में है। “हमारा गांव, हमारी आवाज़” अभियान के अंतर्गत जब वंदना संदेश की टीम गांव पहुंची, तो यहां छिपे संघर्षों, उम्मीदों और बदलाव की लहरों का सजीव चित्र सामने आया।

📍 इतिहास, श्रम और आत्मबल का गांव

नैनीताल जिले का यह ऐतिहासिक गांव न केवल अपनी सांस्कृतिक विरासत के लिए जाना जाता है, बल्कि यहां की मेहनतकश जनता, जागरूक युवावर्ग और महिलाएं इसे विशिष्ट बनाते हैं।

खेती, पशुपालन और कुटीर उद्योग गांव की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं।

बुजुर्ग पारंपरिक कृषि को आज भी आत्मसम्मान से निभा रहे हैं।

युवा शिक्षा और प्रतियोगी परीक्षाओं में आगे बढ़ रहे हैं।

धीरे-धीरे व्यवसायिक विकास और शहरी प्रभाव भी गांव में प्रवेश कर रहा है।

⚠️ विकास की राह में अड़चनें

गांव में जागरूकता और इच्छाशक्ति की कमी नहीं, परंतु कई मूलभूत समस्याएं हैं जो आज भी ग्रामीण जीवन को प्रभावित कर रही हैं:

🚰 पेयजल संकट

गर्मियों में कई मोहल्लों में पानी की आपूर्ति बाधित हो जाती है, जिससे लोगों को निजी संसाधनों पर निर्भर रहना पड़ता है।

🛣️ जर्जर सड़कें और अंधेरी गलियां

गांव की संपर्क सड़कें गड्ढों में तब्दील हो चुकी हैं। स्ट्रीट लाइट की अनुपस्थिति से रात्रि में आवागमन कठिन हो जाता है।

🌧️ जलभराव और कीचड़ की समस्या

बरसात में गलियों में पानी भर जाता है, जिससे कीचड़ और फिसलन से दुर्घटनाओं का खतरा बना रहता है।

🏥 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का अभाव

गांव में कोई भी स्वास्थ्य केंद्र नहीं है, जिससे मामूली बीमारियों के लिए भी गांववासियों को शहर का रुख करना पड़ता है।

👷‍♂️ रोजगार व प्रशिक्षण की कमी

तकनीकी और व्यावसायिक प्रशिक्षण की अनुपलब्धता के चलते युवाओं को पलायन करना पड़ रहा है।

🚮 कचरा प्रबंधन अधूरा

स्वच्छ भारत मिशन के बावजूद गांव में नियमित सफाई और कूड़ा निस्तारण की ठोस व्यवस्था नहीं बन पाई है।

📚 शिक्षा की ओर उम्मीदें

स्थानीय विद्यालयों में बच्चों की उपस्थिति में बढ़ोतरी हो रही है। शिक्षक समर्पण से काम कर रहे हैं। लेकिन बुनियादी संसाधनों की कमी अब भी एक बड़ी चुनौती है।

🗳️ चुनावी चर्चा और नेतृत्व की आशा

ग्राम प्रधान चुनाव को लेकर गांव में चर्चाएं तेज हैं। इस बार दो प्रमुख नाम चर्चा में हैं:

महेश चंद्र भगत

भावना पडलिया

गांववासियों को उम्मीद है कि नया नेतृत्व विकास को प्राथमिकता देगा और केवल योजनाओं की घोषणा नहीं, बल्कि ज़मीन पर क्रियान्वयन को भी सुनिश्चित करेगा।

🔈 गांववासियों की प्रमुख मांगें

  1. प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की स्थापना
  2. जल निकासी और सीसी रोड निर्माण
  3. युवाओं के लिए कंप्यूटर प्रशिक्षण केंद्र और पुस्तकालय
  4. स्वरोजगार योजनाएं
  5. हर मोहल्ले में जलापूर्ति और स्ट्रीट लाइट की व्यवस्था

🌱 बदलाव की बयार और उम्मीद की लौ

गांव में बदलाव की भावना साफ झलकती है — जागरूक नागरिक, मेहनती महिलाएं और ऊर्जावान युवा मिलकर गांव को नई दिशा देना चाहते हैं। लेकिन इस सपने को साकार करने के लिए मजबूत प्रशासनिक सहयोग, ठोस योजनाएं, और उनका समय पर क्रियान्वयन अत्यंत आवश्यक है।

अगर जिम्मेदार नेतृत्व और सशक्त नीति मिल जाए, तो रामपुर लामाचौड़ आने वाले वर्षों में एक आदर्श गांव बनकर उभर सकता है।

“रामपुर लामाचौड़” सिर्फ एक गांव नहीं, एक जीवित दस्तावेज़ है — जहां संघर्ष है, लेकिन उससे बड़ी उम्मीदें भी हैं। यहां विकास की बुनियाद तैयार है — अब बस उसे मजबूती से जोड़ने की जरूरत है।”

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