
बनभूलपुरा केस: सुप्रीम कोर्ट में कल होगी अहम सुनवाई, रेलवे-राज्य सरकार आमने-सामने
हल्द्वानी। हल्द्वानी के बनभूलपुरा रेलवे भूमि अतिक्रमण मामले में कल 14 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई होनी है। यह मामला पिछले तीन सालों से अदालत में लंबित है, जहां रेलवे और नगर निगम की जमीन पर निवासरत लोगों ने कोर्ट से राहत ले रखी है।
रेलवे ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि रेल परियोजनाओं के विस्तार के लिए भूमि की आवश्यकता है। मंत्रालय का तर्क है कि भूमि अभाव के कारण वंदे भारत एक्सप्रेस और अन्य ट्रेनें हल्द्वानी तक नहीं आ पा रही हैं। दूसरी ओर, गौला नदी के कटाव से रेलवे ट्रैक को भी खतरा बना हुआ है।
बनभूलपुरा में रेलवे का दावा करीब 30 एकड़ भूमि पर है, जबकि नगर निगम भी इसी क्षेत्र को अपनी भूमि बताता है। यहां करीब 4365 घर अतिक्रमण की जद में बताए गए हैं। हाईकोर्ट के आदेश के बाद जब प्रशासन ने कब्जे हटाने की कोशिश की थी, तो क्षेत्र में वृहद आंदोलन हुआ था। प्रशासनिक चूक के चलते कार्रवाई पूरी नहीं हो पाई और कब्जेदारों ने सुप्रीम कोर्ट की शरण ली।
जानकारी के अनुसार, रेलवे और राज्य सरकार की ओर से वकीलों ने अपना पक्ष रखने की पूरी तैयारी कर ली है। वहीं, कब्जेदारों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सलमान खुर्शीद और प्रशांत भूषण पैरवी करेंगे।
राज्य सरकार ने इस मामले में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से विधिक राय मांगी है। नोडल अधिकारी आईएएस विशाल मिश्रा, परितोष वर्मा और पंकज उपाध्याय ने दिल्ली में अधिवक्ताओं के साथ रणनीति तय की है, जबकि राज्य सरकार की ओर से अभिषेक अत्रे कोर्ट में पक्ष रखेंगे।
पिछली सुनवाई के बाद कोर्ट के निर्देशों के अनुरूप राज्य सरकार और रेलवे ने संयुक्त सर्वे दोबारा पूरा कर लिया है। साथ ही, प्रभावित परिवारों के पुनर्वास के लिए भी प्रस्ताव तैयार किया गया है, जिसे कल कोर्ट में पेश किया जाएगा।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि, “राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की गंभीरता से पैरवी कर रही है। बनभूलपुरा से कब्जे हटने के बाद ही रेल प्रोजेक्ट्स का रास्ता साफ होगा।”










