
पर्यावरण की आत्मा पर सीधा प्रहार: कोसी नदी के आसपास 20 हजार से ज्यादा पेड़ उखाड़ डाले
विश्व पर्यावरण दिवस पर जागरूकता अभियान चलाने, पौधे लगाने और पर्यावरण को बचाने के संकल्प लेने की तैयारी है लेकिन तराई में कोसी नदी के आसपास पर्यावरण की आत्मा पर सीधा प्रहार किया जा रहा है। पांच जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाएगा। इसके लिए बड़े स्तर पर जागरूकता अभियान चलाने, पौधे लगाने और पर्यावरण को बचाने के संकल्प लेने की तैयारी है लेकिन तराई में कोसी नदी के आसपास पर्यावरण की आत्मा पर सीधा प्रहार किया जा रहा है।
एक अनुमान के अनुसार पिछले दो महीने में ही खनन माफिया ने जेसीबी आदि मशीनों से गुलजारपुर और महुआडाली गांव के पास 20,000 से ज्यादा पेड़ उखाड़ डाले और खनन कर नदी के किनारे 20 फुट से भी गहरे गड्ढे कर दिए। इस गोरखधंधे से जुड़े लोगों के हौसले इतने बुलंद हैं कि वन विभाग की टीम ने विरोध किया तो कई बार उन पर हमले भी कर दिए।
गुलजारपुर और आसपास के लोग इलाके की पीड़ा तो पूरी बता रहे हैं लेकिन डर के चलते चुप्पी साध जाते हैं। आरोप है कि जो भी आवाज उठाता है तो उसे धमकाकर चुप करा दिया जाता है। ग्रामीणों ने बताया कि चार महीने पहने कोसी नदी जगतपुर गांव से काफी दूर थी लेकिन जिस तरह से नदी के किनारे की जमीन पर लगे सागौन के पेड़ों को काटकर मिट्टी का खनन किया जा रहा है। उससे गांव को भी खतरा बढ़ने लगा है। खनन के इस तरीके को देखकर ग्रामीण खुद भी हैरान हैं। इससे गांवों का जीवन बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है। इस दोहन का सबसे प्रतिकूल असर पर्यावरण पर पड़ रहा है। नल और सूख गएग्रामीणों ने बताया कि लगातार मिट्टी उठान और पेड़ों के काटने से भूजल स्तर गिर रहा है। इसका असर ये है कि जगतपुर, महुआडाली और आसपास के कई गांवों में नल सूख गए हैं। कई स्थानों पर तो बोरिंग वाले पाइप भी सूख गए हैं। अधिकतर ग्रामीण गुरुद्वारे के गहरे बोरिंग या सरकारी नलों से पानी भरकर अपनी जरूरत के लिए पानी जुटा रहे हैं।
बताया कि कुछ लोग तो गांव वालों के विरोध के स्वर दबाने के लिए अपने खर्च से भी पानी के टैंकर भेजकर उनकी पानी की जरूरत को पूरा कर रहे हैं। गुलजार पुर क्षेत्र में इस तरह की शिकायत मिल रही है। कई बार कार्रवाई भी की गई। पांच दिन पहले छापा मारा तो वनकर्मियों पर हमला भी कर दिया गया था जिसकी शिकायत पुलिस को की गई है। कार्रवाई लगातार जारी रहेगा।
