
उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय को वैश्विक उत्कृष्टता की ओर ले जाने का संकल्प
नवनियुक्त कुलपति ने प्रेस वार्ता में प्रस्तुत की भावी योजनाएं — गुणवत्तापूर्ण दूरस्थ शिक्षा, डिजिटल नवाचार, शोध, कौशल विकास और सांस्कृतिक संरक्षण को दी जाएगी प्राथमिकता
हल्द्वानी। उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय के नव नियुक्त कुलपति के रूप में कार्यभार संभालना मेरे लिए अपार गर्व और उत्तरदायित्व का विषय है। यह केवल एक प्रशासनिक भूमिका नहीं, बल्कि उत्तराखंड के दूरस्थ और वंचित वर्गों तक गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा पहुँचाने का एक मिशन है।
आप सभी मीडिया प्रतिनिधियों का धन्यवाद करता हूँ कि आपने इस संवाद में सहभागिता की और विश्वविद्यालय की भावी दिशा को जानने में रुचि दिखाई।
मेरी प्राथमिकताएँ एवं दृष्टिकोण:
- ‘उच्च शिक्षा आपके द्वार’ को ज़मीन पर उतारने का संकल्प
डिजिटल युग के अनुरूप विश्वविद्यालय के प्रचार-प्रसार को सशक्त किया जाएगा। सोशल मीडिया, वेब प्लेटफॉर्म्स के साथ-साथ प्रत्येक क्षेत्रीय केंद्र के माध्यम से विश्वविद्यालय की सेवाओं को सुदूर क्षेत्रों तक पहुँचाया जाएगा।
- क्षेत्रीय अध्ययन केंद्रों का आधुनिकीकरण
राज्य के दूरदराज़ इलाकों में स्थित अध्ययन केंद्रों को तकनीकी संसाधनों, प्रशिक्षित स्टाफ और समयबद्ध सेवाओं से सशक्त किया जाएगा ताकि विद्यार्थियों को स्थानीय स्तर पर उच्च गुणवत्ता की सहायता मिल सके।
- डिजिटल लर्निंग की मजबूती (ODL + Online Learning)
ऑनलाइन शिक्षा को नई ऊँचाई देने के लिए वर्चुअल लैब्स, ऑडियो-विज़ुअल सामग्री, MOOC कोर्सेज़ और स्मार्ट लर्निंग प्लेटफ़ॉर्म विकसित किए जाएंगे।
- कौशल विकास और रोजगारपरक शिक्षा
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप, कौशल आधारित कार्यक्रम, इंटर्नशिप, और इंडस्ट्री-एकेडमिक साझेदारी को बढ़ावा दिया जाएगा ताकि विद्यार्थियों को पढ़ाई के साथ-साथ रोज़गार की तैयारी भी मिले।
- अनुसंधान को बढ़ावा
‘अनुसंधान प्रोत्साहन नीति’ के तहत स्थानीय विषयों — जैसे पर्यावरण, पलायन, पर्यटन, जैव विविधता, लोकसंस्कृति और भाषा — पर शोध को प्राथमिकता दी जाएगी।
- छात्र हित सर्वोपरि
छात्र शिकायत निवारण तंत्र को अधिक पारदर्शी और प्रभावी बनाया जाएगा। करियर काउंसलिंग, परामर्श और मानसिक स्वास्थ्य सहायता जैसे सेवा प्रावधानों को भी सशक्त किया जाएगा।
- पारदर्शी और जवाबदेह प्रशासन
प्रशासनिक प्रक्रियाओं में डिजिटलीकरण, पारदर्शिता और दक्षता सुनिश्चित की जाएगी ताकि सभी शैक्षणिक एवं प्रशासनिक गतिविधियाँ समयबद्ध रूप से संचालित हों।
- लोकभाषा व सांस्कृतिक संरक्षण
विश्वविद्यालय उत्तराखंड की लोकभाषाओं व सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु विशेष शैक्षणिक पहलों की शुरुआत करेगा।
यह विश्वविद्यालय केवल एक शिक्षण संस्थान नहीं, बल्कि राज्य के लाखों विद्यार्थियों की आशा और आकांक्षा का केंद्र है। मेरा प्रयास रहेगा कि हम सब मिलकर इसे एक ऐसा विश्वविद्यालय बनाएं जो न केवल ज्ञान का बल्कि नवाचार, समावेशिता और सामाजिक उत्तरदायित्व का भी प्रतीक बने।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. खेमराज भट्ट, प्रो. गिरिजा पाण्डेय (निदेशक, क्षेत्रीय सेवाएं), प्रो. पी डी पंत (निदेशक, अकादमिक), परीक्षा नियंत्रक प्रो. सोमेश कुमार, वित्त नियंत्रक श्री एस. पी. सिंह तथा प्रो. राकेश चंद्र रयाल (निदेशक, पत्रकारिता एवं मीडिया अध्ययन) उपस्थित रहे।






