
उत्तराखंड की गौरवगाथा अब किताबों में
‘हमारी विरासत एवं विभूतियां’ पुस्तक पहली बार कक्षा 6 से 8 तक के पाठ्यक्रम में शामिल
उत्तराखंड की समृद्ध संस्कृति, इतिहास और लोकपरंपराएं अब राज्य के स्कूली बच्चों को पाठ्यपुस्तकों के माध्यम से पढ़ाई जाएंगी। ‘हमारी विरासत एवं विभूतियां’ नामक पुस्तक को पहली बार कक्षा 6, 7 और 8 के लिए राजकीय पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है। यह पुस्तक बच्चों को स्थानीय इतिहास, लोकनायकों, आंदोलनों, लोकपर्वों और परंपराओं से परिचित कराएगी।
📘 पुस्तक की प्रमुख विशेषताएं:
कक्षा 6:
‘न्यायकारी ग्वेल देवता’ नामक पाठ के माध्यम से न्याय के देवता गोल्ज्यू की कहानियों का अध्ययन। गोल्ज्यू को उनके न्यायप्रिय स्वभाव के लिए जाना जाता है।
कक्षा 8:
‘अमर सेनानी जसवंत सिंह रावत’ नामक पाठ में 1962 के भारत-चीन युद्ध के वीर सैनिक की शौर्यगाथा, जिन्होंने अकेले 300 चीनी सैनिकों को मार गिराया।
प्रेरणादायक व्यक्तित्व:
वीरांगना तीलू रौतेली, चिपको आंदोलन की नायिका गौरा देवी, उत्तराखंड राज्य आंदोलन के सेनानी, और कारगिल युद्ध के वीर योद्धाओं का उल्लेख।
लोक जीवन और परंपराएं:
उत्तराखंड के पर्व हरेला, गौचर मेला, पारंपरिक आभूषण, और ताल-झीलों से संबंधित पाठ बच्चों को अपनी संस्कृति से जोड़ेंगे।
महान विभूतियां:
भारत रत्न पं. गोविंद बल्लभ पंत, वीर माधो सिंह भंडारी, कबूतरी देवी, पुरिया नैथानी और कई अन्य लोकनायकों का उल्लेख।
📖 शामिल प्रमुख पाठ:
18वीं गढ़वाल रायफल की शौर्यगाथा
उत्तराखंड राज्य आंदोलन का इतिहास
वीर केसरी चंद और विपिन त्रिपाठी की जुझारू कहानियां
मुजफ्फरनगर की घटना
पिरान कलियर शरीफ
गढ़ चाणक्य पुरिया नैथानी
हमारे ताल और झीलें
हमारे पारंपरिक आभूषण
📢 क्या बोले अधिकारी?
पी.एल. टम्टा, प्रभारी मुख्य शिक्षा अधिकारी, नैनीताल ने बताया:
> “हमारी विरासत एवं विभूतियां पुस्तक को पहली बार पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है। कक्षा छह, सात, आठ के लिए यह किताब आई है और स्कूलों में इसका वितरण किया जा रहा है।”
✅ निष्कर्ष:
‘हमारी विरासत एवं विभूतियां’ पुस्तक न केवल विद्यार्थियों को स्थानीय इतिहास और संस्कृति से जोड़ने का कार्य करेगी, बल्कि उन्हें अपने नायकों से प्रेरणा लेने और गौरवपूर्ण विरासत को पहचानने का भी अवसर देगी। यह एक सराहनीय पहल है जो आने वाली पीढ़ी को उत्तराखंड की असली पहचान से जोड़ने में अहम भूमिका निभाएगी।
