आस्था और उल्लास से गूंजा आँचल दुग्ध कारखाना परिसर, विश्वकर्मा पूजन बना अविस्मरणीय अध्याय

लालकुआं। नैनीताल आँचल दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ परिवार के लिए बुधवार का दिन भक्ति, आस्था और आध्यात्मिक उल्लास से परिपूर्ण रहा। दुग्ध कारखाना परिसर भगवान विश्वकर्मा के भव्य पूजन-अर्चन से गूंज उठा। श्रद्धा और भक्ति से सराबोर इस आयोजन ने पूरे वातावरण को दिव्यता और सकारात्मक ऊर्जा से भर दिया। अधिकारियों व कर्मचारियों ने संगठन की उन्नति और सामूहिक प्रगति के लिए संकल्प भी लिया।

सुबह से ही परिसर में धार्मिक माहौल का अद्भुत नजारा देखने को मिला। सुंदरकांड पाठ, भजनों की मधुर गूंज, वेदमंत्रों का उच्चारण और धूप-दीप की सुगंध ने वातावरण को पावन बना दिया। पारंपरिक विधि-विधान से संपन्न हवन अनुष्ठान में सभी अधिकारी-कर्मचारी सम्मिलित हुए। हवन कुंड में आहुतियाँ देते समय ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो सम्पूर्ण परिसर ईश्वर के प्रति आस्था में लीन हो गया हो।

भक्ति से ओतप्रोत इस आयोजन में कर्मचारियों ने भजन-कीर्तन में स्वर मिलाए और सामूहिक रूप से प्रसाद ग्रहण कर आपसी सौहार्द और संगठनात्मक एकता की मिसाल पेश की।

इस अवसर पर दुग्ध संघ अध्यक्ष मुकेश बोरा ने कहा— “भगवान विश्वकर्मा का पूजन हमें सदैव नई प्रेरणा देता है। उनके आशीर्वाद से संघ की प्रगति सुनिश्चित होगी और कर्मचारियों व उपभोक्ताओं का कल्याण भी होगा। संघ उत्पादन क्षमता और गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए लगातार आधुनिक तकनीक और नवीनतम मशीनरी का उपयोग कर रहा है।”

उन्होंने यह भी कहा कि आज विश्वकर्मा पूजन के साथ-साथ माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का जन्मदिन भी मनाया जा रहा है। इस अवसर पर उन्होंने प्रधानमंत्री को शुभकामनाएँ और दीर्घायु की कामना की।

सामान्य प्रबंधक अनुराग शर्मा ने कहा कि धार्मिक आयोजन कार्यस्थल पर परिवार जैसा माहौल बनाने की प्रेरणा देते हैं। सामूहिक पूजा और प्रसाद वितरण से आपसी एकजुटता और भी मजबूत होती है।

पूरे आयोजन के दौरान हवन, भजन और कीर्तन की गूंज ने वातावरण को आध्यात्मिक ऊर्जा से भर दिया। संचालक मंडल सदस्य गोविंद सिंह मेहता, वित्त प्रभारी उमेश पठालनी, प्रशासन/विपणन प्रभारी संजय सिंह भाकुनी, कारखाना प्रभारी धर्मेंद्र सिंह राणा सहित बड़ी संख्या में अधिकारी, कर्मचारी और श्रद्धालु उपस्थित रहे।

नैनीताल आँचल दुग्ध संघ का यह भव्य विश्वकर्मा पूजन हर किसी के लिए प्रेरणादायी और अविस्मरणीय अनुभव बन गया। यह दिन संघ परिवार के इतिहास में एक ऐसे अध्याय के रूप में दर्ज हो गया जिसने न केवल धार्मिक उल्लास और शांति का वातावरण बनाया, बल्कि संगठनात्मक एकता, आत्मीयता और प्रगति के संकल्प को भी सुदृढ़ किया।

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