आउटसोर्स सेवाओं में कर्मचारियों को एक समान नहीं मिलता वेतन मानदेय

देहरादून । राज्य में 40 हजार से ज्यादा आउटसोर्स, संविदा, दैनिक वेतन भोगी श्रेणी के कर्मचारियों को वेतन कम तो मिल ही रहा है, साथ ही हर विभाग के मानदेय-भत्तों के मानक भी एक समान नहीं है। एक विभाग में मानदेय का पैमाना कुछ है। तो दूसरे में विभाग में कुछ और। स्थायी सरकारी कर्मचारियों के समान ही काम करने के बावजूद उनके समान वेतन-भत्ते पाना सपना भर ही है। आज वन विभाग के दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों के महंगाई भत्ते और उपनल कर्मचारियों के समान कार्य समान वेतन मामले में सुप्रीम कोर्ट में होने जा रही सुनवाई पर सभी की नजर लगी है। उपनल कर्मचारी महासंघ के प्रदेश महामंत्री विनय प्रसाद के अनुसार कर्मचारियों के पक्ष को न्यायालय के समक्ष रखा गया है।

उपनल के जरिए विभिन्न विभागों में कार्यरत 20 हजार से ज्यादा कर्मचारियों की पांच श्रेणियों में 10 858 रुपये से लेकर अधिकतम 39171 रुपये मासिक मिलते हैं। दूसरी तरफ रोडवेज में 2968 विशेष श्रेणी संविदा ड्राइवर को छह हजार किलोमीटर बस चलाने पर ही करीब 20 हजार रुपये मिल रहे हैं। स्थायी ड्राइवर न्यूनतम तीन हजार किलोमीटर चलाने के बाद ही 35 हजार रुपये पाने का पात्र हो जाता है। पीआरडी के जरिए नियुक्त करीब 9400 कार्मिकों को प्रति दिन 650 रुपये मानदेय मिलता है। दूसरी तरफ, होमगार्ड में कार्यरत करीब 6000 जवानों को 907 रुपये ही रोज के मिलते हैं। वन निगम में कार्यरत आउटसोर्स कर्मचारियों को भी तीन श्रेणियों में नौ से 18 हजार रुपये तक मानदेय मिलता है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, जल संस्थान, जल निगग में भी कर्मचारियों के मानदेय में भारी विसंगतियां हैं।

वन विभाग के दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों के महंगाई भत्ते और उपनल कर्मचारियों के समान कार्य समान वेतन मामले में सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई होगी। प्रमुख सचिव-वन आरके सुधांशु, वित्त सचिव दिलीप जावरकर समेत कई आला अफसर और प्रभावित कर्मचारी संगठनों के पदाधिकारी भी दिल्ली पहुंच गए हैं। मालूम हो कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद 21 सितंबर को आननफानन में हुई कैबिनेट में सब कमेटी बनाने का निर्णय किया गया है। कैबिनेट ने सब कमेटी को जल्द से जल्द सभी पहलुओं का अध्ययन कर रिपोर्ट देने को कहा गया है। सब कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर सरकार इस मामले में अंतिम निर्णय लेगी।

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