अब उत्तराखंड की सड़कों पर नहीं दिखेगा भीख मांगता कोई बच्चा: धामी सरकार की ऐतिहासिक पुनर्वास नीति लागू

उत्तराखंड में बच्चों के भविष्य को सुरक्षित और उज्ज्वल बनाने की दिशा में धामी सरकार ने एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। राज्य कैबिनेट द्वारा मंजूरी मिलने के बाद ‘स्ट्रीट चिल्ड्रन पुनर्वास नीति’ को लागू करने की दिशा में तेजी से काम शुरू हो गया है। इस नीति का लक्ष्य सड़कों पर भीख मांगने वाले, लावारिस या बेसहारा बच्चों को मुख्यधारा में लाकर उन्हें शिक्षा, सुरक्षा और सम्मानपूर्ण जीवन देना है।

हर stakeholder की होगी भूमिका

इस नीति में केवल सरकारी तंत्र ही नहीं, बल्कि समाज के प्रत्येक हिस्से को भागीदार बनाया गया है। दुकानदारों और व्यापारियों को निर्देशित किया गया है कि यदि वे किसी बच्चे को भीख मांगते देखें, तो तुरंत संबंधित विभाग को सूचना दें। वहीं, जिलाधिकारियों को राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा तैयार SOP के तहत कार्य करना अनिवार्य होगा।

रेस्क्यू से लेकर शिक्षा तक का होगा पूरा ख्याल

नीति के अनुसार, सड़क पर रहने वाले बच्चों को त्वरित रूप से रेस्क्यू कर बाल स्वराज-CISS पोर्टल पर उनकी जानकारी दर्ज की जाएगी।

इसके बाद बच्चों की स्वास्थ्य जांच की जाएगी।

परामर्श, उपचार, भोजन, कपड़े और सुरक्षा मुहैया कराई जाएगी।

बच्चों को शिक्षा से जोड़ते हुए उनके समग्र विकास के लिए मार्गदर्शन दिया जाएगा।

कौन-कौन बच्चे होंगे योजना के दायरे में:

माता-पिता की देखरेख से वंचित बच्चे

सड़क, फुटपाथ या सार्वजनिक स्थानों पर रहने वाले

गुमशुदा या घर से भागे हुए बच्चे

परित्यक्त या अनाथ बच्चे

वे बच्चे जो माता-पिता के साथ सड़कों पर रहते हैं

भविष्य की तस्वीर

अगर यह नीति जमीनी स्तर पर सख्ती से लागू होती है, तो उत्तराखंड आने वाले वर्षों में देश के उन राज्यों में गिना जाएगा जहाँ सड़कों पर कोई बच्चा भीख मांगता नजर नहीं आएगा।

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