सावन की बारिश में शिवभक्ति की गूंज: कनखल में जाग्रत हुए शिव-शक्ति के दसों ज्योतिर्थ

हरिद्वार/कनखल। सुबह से हो रही मूसलाधार बारिश भी शिवभक्तों की आस्था को डिगा न सकी। हरिद्वार के शिवालयों में आज सावन सोमवार को जलाभिषेक के लिए श्रद्धालुओं की लंबी कतारें लगी रहीं। भक्ति, विश्वास और समर्पण से ओतप्रोत माहौल में कनखल धाम एक बार फिर शिवमय हो उठा।

यह वही कनखल है — ब्रह्मा पुत्र दक्ष की प्राचीन राजधानी — जहां महादेव शिव स्वयं यक्ष, गंधर्व और किन्नरों के साथ दक्ष सुता सती को ब्याहने आए थे। यहीं भगवती सती ने यज्ञ में अपमानित होकर अपने प्राण त्यागे थे, और यहीं से शिव ने क्रोधित होकर तांडव किया था।

कनखल की यह पावन भूमि उस यज्ञ का साक्षी रही है, जहां विष्णु, ब्रह्मा, इंद्र, नारद और दिग्दिगंत से आए 84,000 ऋषियों ने एक साथ अरणी मंथन से यज्ञाग्नि उत्पन्न की थी। इस दिव्यता के कारण कनखल को शक्ति और शिवत्व का अद्वितीय केंद्र माना जाता है।

शिव और शक्ति के दस ज्योतिर्लोक

सावन के महीने में हरिद्वार के दस प्रमुख शिव-शक्ति केंद्र जाग्रत हो उठते हैं।
शक्ति के पांच ज्योतिर्थल — शीतला मंदिर, सतीकुंड, माया देवी, चंडी देवी और मनसा देवी — पाताल में शक्ति की उपस्थिति को दर्शाते हैं।
वहीं शिव के पांच ज्योतिर्थल — दक्षेश्वर, बिल्वकेश्वर, नीलेश्वर, वीरभद्र और नीलकंठ — आकाश में शिवत्व का प्रतीक हैं।

इन दसों ज्योतिर्लोकों का केंद्र मायादेवी (पाताल) और नीलकंठ (आकाश) में है। यही कारण है कि कांवड़ लेकर आने वाले शिवभक्तों की यात्रा इन स्थलों की कृपा से ही पूर्ण मानी जाती है।

वचन निभाते शिव

कहते हैं, राजा दक्ष को दिया गया वचन आज भी भगवान शिव निभा रहे हैं। हर सावन में शिव दक्षेश्वर बनकर कनखल में विराजते हैं, और यह भूमि फिर से उन दिव्य क्षणों की साक्षी बनती है, जब देव, ऋषि, गंधर्व, और स्वयं भगवान यहां एकत्र हुए थे।

श्रद्धा की बारिश, आस्था की गंगा

सावन की बारिश में भीगी ये धरती, भक्तों के जयकारों से गूंज उठी — “हर हर महादेव!”
कांवड़ यात्रियों की टोलियाँ, भीगते हुए भी उत्साहित, गंगा जल लेकर अपने-अपने शिवालयों की ओर बढ़ रहीं हैं। इन्हीं दसों ज्योतिर्लोकों की कृपा से उनकी यात्रा सफल और मंगलमयी होती है।

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