
श्रावण शिवरात्रि की आस्था से गूंजा हरिद्वार, शिवभक्तों ने गंगाजल से किया महादेव का अभिषेक
हरिद्वार। श्रावण शिवरात्रि और कांवड़ यात्रा के अंतिम दिन धर्मनगरी हरिद्वार श्रद्धा, आस्था और भक्ति की अलौकिक छटा से सराबोर हो गई। करोड़ों श्रद्धालु पवित्र गंगा में डुबकी लगाने और भगवान शिव का जलाभिषेक करने के लिए हरिद्वार पहुंचे। हर गली, हर घाट और हर मंदिर में “हर हर महादेव” के जयकारे गूंज उठे।
सुबह ब्रह्ममुहूर्त से ही श्रद्धालु भगवान शिव के प्रमुख मंदिरों — दक्षेश्वर महादेव, तिलभांडेश्वर, दरिद्र भंजन, दुख भंजन, नीलेश्वर महादेव, कुंडी सोटा, बिल्केश्वर महादेव, गुप्तेश्वर महादेव और पशुपतिनाथ मंदिर — में जलाभिषेक कर विधिवत पूजन में लीन नजर आए।
नारायण ज्योतिष संस्थान के आचार्य पं. विकास जोशी के अनुसार, शिवरात्रि पर चतुर्दशी तिथि की शुरुआत के साथ श्रद्धालुओं ने व्रत का संकल्प लेकर भगवान शिव को जल, बेलपत्र, धतूरा, भस्म और फल चढ़ाकर पूजा की। उन्होंने बताया कि यह दिन महादेव को प्रसन्न करने का सर्वोत्तम अवसर होता है, और उनकी कृपा से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
श्रावण शिवरात्रि के प्रमुख शुभ मुहूर्त:
🕉 ब्रह्ममुहूर्त: सुबह 4:15 बजे से 4:56 बजे तक
🕉 विजय मुहूर्त: दोपहर 2:44 बजे से 3:39 बजे तक
🕉 संध्या मुहूर्त: शाम 7:17 बजे से 8:20 बजे तक
चार पहरों की विशेष रात्रि पूजा का समय:
- प्रथम पहर: शाम 7:27 बजे से रात 10:07 बजे तक
- द्वितीय पहर: रात 10:06 बजे से 12:46 बजे तक
- तृतीय पहर: रात 12:46 बजे से सुबह 3:28 बजे तक
- चतुर्थ पहर: सुबह 3:27 बजे से 6:07 बजे तक (24 जुलाई)
हरिद्वार में शिव की बारात की झांकी, कांवड़ियों की टोलियां और मंदिरों में गूंजते मंत्र व आरती की ध्वनि ने समूचे वातावरण को शिवमय बना दिया।
शिवभक्तों का मानना है कि सच्चे मन से महादेव को जल चढ़ाने मात्र से उनके सारे कष्ट मिट जाते हैं और जीवन में सुख-शांति का आगमन होता है।




