शिक्षकों के तबादलों में लापरवाही से बढ़ी नाराजगी, 16 जून को देहरादून में बड़ा प्रदर्शन

देहरादून। उत्तराखंड में शिक्षक-कर्मचारियों के तबादलों को पारदर्शी बनाने के लिए राज्य सरकार ने तबादला एक्ट लागू किया है। इस एक्ट के तहत हर वर्ष मार्च माह से सामान्य तबादलों की प्रक्रिया तय समय-सारणी के अनुसार शुरू हो जानी चाहिए, लेकिन विभिन्न विभागों की लापरवाही के कारण यह प्रक्रिया समय पर पूरी नहीं हो पा रही है।

तबादला प्रक्रिया के मुख्य बिंदु:

हर साल मार्च से सामान्य तबादलों की प्रक्रिया शुरू होनी चाहिए।

मानकों के अनुसार कार्यस्थलों की पहचान जरूरी है।

पात्र शिक्षक-कर्मचारियों की सूची और विभाग में खाली पदों की जानकारी विभाग की वेबसाइट पर सार्वजनिक की जानी चाहिए।

अनिवार्य तबादलों के लिए पात्र कर्मचारियों से 20 अप्रैल तक अधिकतम 10 ऐच्छिक स्थानों के विकल्प मांगे जाने चाहिए।

हालांकि, विभागीय स्तर पर इन नियमों का पालन सही ढंग से नहीं किया जा रहा है, जिससे तबादला प्रक्रिया में पारदर्शिता नहीं रह गई है और यह कानूनी उलझनों में फंसती जा रही है।

❝ तबादला शिक्षकों का अधिकार है

राजकीय शिक्षक संघ के प्रांतीय अध्यक्ष राम सिंह चौहान ने कहा कि “तबादला हर शिक्षक का अधिकार है और यह हर हाल में होना चाहिए।” उन्होंने बताया कि तबादला एवं पदोन्नति में हो रही अनदेखी के विरोध में प्रदेशभर के शिक्षक 16 जून को देहरादून में शिक्षा निदेशालय पर धरना देंगे।

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