
गोविंद सिंह माहरा राजकीय चिकित्सालय रानीखेत के कार्यालय में घुसा पानी
रानीखेत। स्व. गोविन्द सिंह माहरा राजकीय चिकित्सालय रानीखेत में बारिश के बाद बन रहे नये कार्यालय के अन्दर कक्षों में पानी घुस गया है। कक्षो मे पानी घुसने से कई जरूरी दस्तावेज गीले हो गए हैं।
बता दे कि कुमाऊं और गढ़वाल के मरीजों के उपचार की जिम्मेदारी संभालने वाले सबसे बड़े राजकीय चिकित्सालय रानीखेत मे नये कार्यालय का कार्य चल रहा है। जिसका कार्य उत्तरांचल पेयजल निगम घिंघारीखाल द्वारा करवाया जा रहा है। ठेकेदार द्वारा अभी कार्य पूर्ण भी नही किया गया है। जिसके बाबजूद ठेकेदार व कार्यदाही संस्था द्वारा बिल्डिंग को सौपे बिना ही चिकित्सालय का कार्यालय खोल दिया गया। बिल्डिंग मे लगे मेटेरियल को देखकर यह लग रहा है कि यह बिल्डिंग ज्यादा चलने वाली नही है। अब सोचने वाली बात यह है कि कार्यदाही संस्था द्वारा इस बिल्डिंग मे लगे हुए मेटेरियल को जाँच कर लगाया गया है या नही, और इससे लगता है कि सरकार के रुपयो द्वारा सही कार्य नही करवाया जा रहा है।
वही वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी पूरन सिंह अधिकारी से जब इस बाबत बात की गई तो उन्होने कहा कि हमने उत्तरांचल पेयजल निगम घिंघारीखाल को इसके बारे मे बता दिया है। बिल्डिंग को बिना सौपे कार्यालय का काम कैसे चल रहा है, के बारे मे पुछा गया तो वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी ने कोई जवाब नही दिया।
मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉक्टर संदीप दिक्षित का कहना.है कि यहा पर दो कार्यदाही संस्था कार्य कर रही है। मौसम के चलते लंबे समय से कार्य नहीं कर पा रही थी, अतः कार्य स्थगित था। हमनें ठेकेदारों और अपने उच्च अधिकारियों के संज्ञान में यह बात रखी थी कि जल्दी से जल्दी प्रशासनिक भवन का कार्य संपन्न किया जाए। हमनें कोविड वार्ड का कार्य भी जल्द से जल्द संपन्न करने की मांग की है। शुरुआत में जहां पर प्रशानिक भवन था, वहा पर लेबर रूम प्रस्तावित था, इसीलिए भवन को ट्रांसिट हॉस्टल में अस्थाई रूप से स्थापित किया गया था। मरीजों से जुड़े प्रपत्र, स्वास्थ्य और जन्म मृत्यु से जुड़े प्रमाण पत्रों के रख रखाव के लिए एक उचित स्थान आवश्यक है। उन्होने कहा कि जब से मैंने मुख्य चिकित्सा अधीक्षक का पद संभाला है, तब से मै चिकित्सालय के भीतर 15 नंबर कक्ष में बैठता हूं। मरीजों और तीमारदारों की समस्या का हल जल्दी हो सके, इसीलिए हमने यह कक्ष नहीं बदला। परंतु कार्यालय के ट्रांसिट हॉस्टल में होने से मरीजों को काफी परेशानी हो रही थी, और कागजी कार्यवाही में भी विलंब हो रहा था। यह परेशानी बड़े लंबे समय से थी।
डॉक्टर संदीप दिक्षित ने बताया कि भवन का निर्माण अभी पूर्ण नही हुआ है। क्योंकि भवन हैंडओवर करना भी एक प्रक्रिया है, इसलिए हमने ठेकेदार से अनुमति लेकर भवन को कम से कम दस्तावेजों के रख रखाव के लिए क्रियाशील किया है।
प्रीतम सिंह सहायक अभियंता, उत्तरांचल पेयजल निगम घिंघारीखाल ने चल रहे कार्य के बारे मे बताया कि अभी भवन को हैंडओवर नहीं किया गया है। हमारा प्लंबिंग का काम चालू है, और दो तीन दिन में काम पूरा हो जाएगा। टॉयलेट की सुविधा के संचालन के साथ और जो भी कमियां हैं, उन्हे कुछ ही दिनों में पूरा करने का प्रयास किया जाएगा।
