कुमाऊं के जंगलों पर बरपा मानसून का कहर: बाघ, तेंदुए और हाथियों की भी मौत

कुमाऊं में लगातार हो रही तेज बारिश और बाढ़ ने न केवल इंसानी बस्तियों में तबाही मचाई है बल्कि जंगलों को भी नहीं बख्शा। उफनती नदियों और नालों के बीच बेबस वन्यजीव मौत के मुंह में समा रहे हैं। बाघ, तेंदुए और हाथियों जैसे शक्तिशाली जीव भी बारिश के सामने असहाय साबित हुए।

बारिश-बाढ़ से जंगल में मातम

प्राकृतिक आपदा की चपेट में आकर कई वन्यजीवों ने अपनी जान गंवाई। घटनाओं की जांच वन विभाग द्वारा की जा रही है।

3 सितंबर – कार्बेट टाइगर रिजर्व से सटी कोसी नदी में पांच हिरण फंसे, मोहान के पास दो हाथी बहने से बचे।

4 सितंबर – बाजपुर की लेवड़ा नदी में पुल के नीचे घायल तेंदुआ मिला, आशंका बाढ़ में बहने की।

6 सितंबर – कोटद्वार के पास मालन नदी में हाथी का बच्चा बहा, जिसे वनकर्मियों ने रेस्क्यू कर बचाया।

8 सितंबर – रामनगर वन प्रभाग (कालाढूंगी) में चकलुआ बीट के नाले में सात वर्षीय बाघ का शव मिला।

9 सितंबर – टनकपुर (चंपावत) के बरसाती नाले से तेंदुए का शव बरामद।

सरीसृप सबसे ज्यादा संकट में

विशेषज्ञों का कहना है कि मानसून में सरीसृप सबसे अधिक प्रभावित होते हैं। वहीं उम्रदराज या घायल बाघ-तेंदुए पानी के तेज बहाव का सामना नहीं कर पाते।

सबक और सवाल

पहले भी कॉर्बेट और अन्य क्षेत्रों में आपसी संघर्ष में वन्यजीवों की मौत होती रही है, लेकिन इस बार बारिश और बाढ़ ने उनका अस्तित्व ही खतरे में डाल दिया। सवाल यह है कि क्या हमारे पास वन्यजीवों के लिए कोई ठोस आपदा प्रबंधन योजना है या वे हर साल इसी तरह मौत के हवाले होते रहेंगे?

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