
उत्तराखंड में शिक्षकों के तबादले होंगे ऑनलाइन: बोर्ड परिणाम और सेवा अंक बनेंगे आधार
नई तबादला नीति को कैबिनेट की मंजूरी का इंतजार
उत्तराखंड सरकार ने शिक्षकों के लिए विशेष तबादला नियमावली तैयार की है, जिसे अंतिम स्वीकृति के लिए कैबिनेट में प्रस्तुत किया जाएगा। इस नई व्यवस्था के तहत शिक्षकों के तबादले अब अधिक पारदर्शी और दक्ष तरीके से किए जाएंगे।
बोर्ड परीक्षा में लगातार खराब प्रदर्शन पर अनिवार्य तबादला
यदि कोई शिक्षक लगातार दो वर्षों तक कक्षा 10वीं या 12वीं के बोर्ड परीक्षा में खराब परिणाम देता है, तो उसे अनिवार्य रूप से पर्वतीय क्षेत्रों में तबादला किया जाएगा। इससे शिक्षकों में जिम्मेदारी की भावना बढ़ेगी और शिक्षा की गुणवत्ता पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
प्रदेश को दो क्षेत्रों में बांटा जाएगा: पर्वतीय और मैदानी
नए नियम के तहत अब “सुगम और दुर्गम” की जगह पूरे राज्य को दो भागों में बांटा गया है:
पर्वतीय क्षेत्र
मैदानी क्षेत्र
तबादले इन्हीं दो वर्गों के आधार पर किए जाएंगे।
सेवा अंक होंगे तबादले का आधार
शिक्षकों की तबादला पात्रता उनके सेवा क्षेत्र (पर्वतीय या मैदानी) में बिताए गए वर्षों और उनके द्वारा अर्जित सेवा अंकों (गुणांक) के आधार पर तय की जाएगी। कम से कम 16 अंक प्राप्त करने वाले शिक्षक क्षेत्र परिवर्तन के लिए पात्र होंगे।
अब तबादले होंगे पूरी तरह ऑनलाइन
तबादला प्रक्रिया को डिजिटल बनाने के लिए एक विशेष सॉफ्टवेयर विकसित किया गया है। शिक्षकों के सभी तबादले अब ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से पारदर्शिता के साथ संपन्न होंगे।
चार जिले घोषित होंगे उच्च पर्वतीय क्षेत्र
प्रदेश के निम्नलिखित जिलों को उच्च पर्वतीय श्रेणी में रखा गया है:
पिथौरागढ़
उत्तरकाशी
चमोली
बागेश्वर
जबकि टिहरी, रुद्रप्रयाग, अल्मोड़ा, चंपावत, नैनीताल, पौड़ी और देहरादून के गैर-मैदानी क्षेत्र निम्न पर्वतीय माने जाएंगे।
तबादला प्रक्रिया की तय तिथियां
1 जनवरी से तबादला प्रक्रिया की शुरुआत होगी।
31 मार्च तबादला आदेश जारी करने की अंतिम तिथि होगी।
सेवाकाल में एक बार मिलेगा संवर्ग परिवर्तन का अवसर
हर शिक्षक को पूरे सेवाकाल में एक बार संवर्ग बदलने की अनुमति दी जाएगी, बशर्ते उन्होंने वर्तमान संवर्ग में कम से कम 3 वर्ष की सेवा की हो।
विवाहित महिला शिक्षकों को विशेष छूट
यदि कोई महिला शिक्षक सेवा के दौरान विवाह करती है, तो उसे पति के कार्यस्थल या गृह जिले में तबादले की एक बार छूट दी जाएगी।
पर्वतीय और मैदानी क्षेत्रों में सेवा की समयसीमा तय
पर्वतीय क्षेत्र के उप-क्षेत्र में अधिकतम 5 साल तक सेवा करनी होगी।
इसी प्रकार मैदानी क्षेत्र में भी अधिकतम 5 साल की सेवा निर्धारित की गई है।



