
उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय में 6 दिवसीय फैकल्टी डेवलपमेंट कार्यक्रम का समापन
उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय के लाइब्रेरी एंड इंफॉर्मेशन साइंस विभाग द्वारा आयोजित छह दिवसीय फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम का शनिवार को समापन हुआ। इस अवसर पर कुलपति प्रो. ओ.पी.एस. नेगी ने कार्यक्रम की सफलता पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि इस तरह के आयोजन शोध की गुणवत्ता को नई ऊँचाइयों तक ले जाने में सहायक सिद्ध होंगे। कार्यशाला की संयोजक डॉ. प्रीति शर्मा ने समापन सत्र में छह दिनों की कार्यशाला की विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की और प्रतिभागियों ने भी अपने अनुभव साझा किए।
प्रो. ओ.पी..एस नेगी ने कहा कि अन्य विश्वविद्यालयों के लाइब्रेरी साइंस के प्रोफेसर्स से यूओयू की लाइब्रेरी को सहयोग लेने की जरूरत है। बेहतरीन किताबें व जर्नलस से एक अच्छी लाइब्रेरी बनाना हमारी प्राथमिकता है। 6 दिन की इस कार्यशाला में देशभर के ख्यातिप्राप्त पुस्तकालयाध्यक्षों और शोध विशेषज्ञों ने भाग लिया और शोध प्रकाशन, शोध संसाधनों की उपलब्धता तथा आधुनिक शोध उपकरणों के उपयोग पर महत्वपूर्ण जानकारियाँ दीं।
प्रोग्राम के आखिरी दिन डॉ. श्वेता पांडेय (उप लाइब्रेरियन, सीएसजेएम यूनिवर्सिटी, कानपुर) ने विद्वत्तापूर्ण संचार (Scholarly Communication) के महत्व को स्पष्ट किया और शोध प्रकाशन चक्र की विस्तार से व्याख्या की। उन्होंने ओपन एक्सेस मूवमेंट और उसके सिद्धांतों को समझाते हुए शोधकर्ताओं को शिकारी (Predatory) जर्नल्स के खतरों से आगाह किया तथा इनसे बचने के लिए ऑनलाइन संसाधनों और मानकों की जानकारी दी।
कार्यशाला में डॉ. हर सिंह बिष्ट (उप लाइब्रेरियन, हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय, गढ़वाल) ने वन नेशन वन सब्सक्रिप्शन (ONOS) योजना के महत्व और उद्देश्य पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि उच्च शिक्षण संस्थानों के लिए यह योजना शोध संसाधनों तक समान और निःशुल्क पहुँच सुनिश्चित करने में क्रांतिकारी भूमिका निभा रही है। उन्होंने इस पहल के तहत उपलब्ध शोध पत्रिकाओं की सूची साझा की और बताया कि शैक्षणिक संस्थान इस योजना का लाभ कैसे उठा सकते हैं।
शोध संसाधनों की उपलब्धता और खोज के संदर्भ में डॉ. श्री राम निवास सोनी (सहायक लाइब्रेरियन, आईआईटी रुड़की) ने SCOPUS और Web of Science जैसे प्रमुख शोध डेटाबेस के उपयोग पर व्यावहारिक जानकारी दी। उन्होंने लाइव डेमोंस्ट्रेशन के माध्यम से शोध पत्र और थीसिस खोजने की प्रभावी रणनीतियाँ साझा कीं, जिससे प्रतिभागियों को शोध में नवीनतम तकनीकों का प्रयोग करने की प्रेरणा मिली।
इसके अलावा, आईआईटी दिल्ली के असिस्टेंट लाइब्रेरियन डॉ. मोहित गर्ग ने बिब्लियोमेट्रिक टूल्स, शोध सॉफ़्टवेयर और सिस्टेमेटिक रिव्यू पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने बताया कि इन उपकरणों का उपयोग शोध की गुणवत्ता को मापने और व्यवस्थित समीक्षा करने के लिए कैसे किया जा सकता है। शोध डेटा विश्लेषण और सटीक परिणामों की व्याख्या में इन तकनीकों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
इस कार्यशाला का उद्देश्य शोधकर्ताओं और शिक्षाविदों को गुणवत्तापूर्ण शोध संसाधनों तक सहज और निःशुल्क पहुँच प्रदान करना था। प्रतिभागियों ने इस कार्यक्रम को अत्यंत लाभकारी बताया और इसमें सीखे गए नए शोध टूल्स और तकनीकों को अपने कार्य में लागू करने की प्रतिबद्धता जताई। समापन कार्यक्रम में विवि के कुलसचिव खीमराज भट्ट, विज्ञान विद्याशाखा के निदेशक प्रो. पीडी पंत , लाइब्रेरी साइंस के हैड प्रोफेसर अरविंद भट्ट समेत शोधार्थी मौजूद रहे।
इस कार्यशाला में देश भर से 300 से ज्यादा लोगों ने ऑनलाइन प्रतिभाग किया तो वहीं 50 से अधिक लोगों ने ऑफलाइन भाग लिया। जिसमें लाइब्रेरी साइंस के शिक्षार्थियों से लेकर उत्तराखंड मुक्त विवि के 2025 बैच के 35 शोधार्थी शामिल रहे। पौड़ी समेत अन्य विवि से भी कुछ शोधार्थी कार्यशाला मे मौजूद रहे।
