अल्मोड़ा में बंदरों की कृत्रिम बसावट पर भड़के संजय पाण्डे: वन विभाग ने दिए सख़्त निर्देश, फिर भी संतुष्ट नहीं समाजसेवी

अल्मोड़ा। नगर क्षेत्र में कृत्रिम रूप से छोड़े जा रहे बंदरों की बढ़ती समस्या अब जनसुरक्षा और प्रशासनिक कार्यप्रणाली पर बड़ा सवाल बन चुकी है। लंबे समय से इस मुद्दे पर संघर्षरत सामाजिक कार्यकर्ता संजय पाण्डे के सतत प्रयासों के बाद वन विभाग ने पहली बार सख़्त निर्देश जारी किए हैं, लेकिन प्रशासन की निष्क्रियता को लेकर वह अब भी असंतुष्ट हैं।

🔴 जनसुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बनी बंदरों की समस्या

अल्मोड़ा नगर में लगातार ऐसे मामले सामने आ रहे हैं, जिनमें अन्य जनपदों से बंदरों को पकड़कर शहर में कृत्रिम रूप से छोड़ा जा रहा है। इससे न केवल आमजन को असुविधा हो रही है, बल्कि छोटे बच्चों और बुजुर्गों की सुरक्षा भी खतरे में पड़ चुकी है।

🗣️ संजय पाण्डे ने खोला प्रशासन पर मोर्चा

हाल ही में एक जानलेवा हमले का शिकार होने के बावजूद, संजय पाण्डे ने इस संवेदनशील मुद्दे को और मुखर रूप से उठाया। उन्होंने जिलाधिकारी और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को लिखित रूप में अवगत कराते हुए कहा कि बंदरों को योजनाबद्ध तरीके से अल्मोड़ा में छोड़ा जा रहा है, परंतु अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है।

📞 CM हेल्पलाइन और वन्य जीव संघर्ष हेल्पलाइन पर की शिकायत

संजय पाण्डे ने मुख्यमंत्री हेल्पलाइन (CM Helpline) पर शिकायत क्रमांक CMHL-052025-8-757620 के तहत शिकायत दर्ज कराई है। साथ ही वन्य जीव संघर्ष हेल्पलाइन 1926 पर भी मामला संज्ञान में लाया गया है। जिलाधिकारी कार्यालय को भी दो बार ज्ञापन सौंपे गए हैं, परंतु प्रशासनिक कार्यवाही महज औपचारिक आश्वासनों तक सीमित रही।

🌲 वन विभाग ने दिए सख्त निर्देश

संजय पाण्डे के दबाव के बाद वन विभाग ने पहली बार स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं। इन निर्देशों के अनुसार:

सभी पुलिस थानों और चेकपोस्टों को सतर्क रहने को कहा गया है।

बाहरी इलाकों से बंदर लाकर छोड़ने वालों की सघन निगरानी और कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित करने के आदेश हैं।

⚠️ प्रभावी क्रियान्वयन की मांग

पाण्डे ने कहा कि पूर्व जिलाधिकारी वंदना सिंह के समय भी इस विषय पर मौखिक आदेश जारी हुए थे, लेकिन प्रभावी क्रियान्वयन के अभाव में समस्या पुनः गंभीर हो गई। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि अब भी ठोस कार्रवाई नहीं हुई तो वे कानूनी विकल्पों पर विचार करेंगे।

📌 स्पष्ट मांगें:

वन विभाग के निर्देशों को सभी सीमा चौकियों और चेकपोस्टों पर सख्ती से लागू किया जाए।

नगर निगम, पुलिस विभाग और वन विभाग के बीच समन्वयात्मक और प्रतिबद्ध प्रयास किए जाए।

निष्कर्ष:

संजय पाण्डे का यह संघर्ष सिर्फ बंदरों की समस्या का नहीं, बल्कि एक जिम्मेदार प्रशासन की मांग का प्रतीक बन गया है। अब समय आ गया है कि केवल आश्वासन नहीं, मूलभूत और ठोस कदम उठाए जाएं ताकि आम नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।

सम्बंधित खबरें